पर्यटन

उत्तराखंड दिवस पर 40 प्राकृतिकविदों को किया गया प्रशिक्षित

पर्यटन एवं आतिथ्य कौशल परिषद और VISA का आयोजन

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देहरादून। उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर पर्यटन एवं आतिथ्य कौशल परिषद (Tourism & Hospitality Skill Council – THSC) और VISA के सहयोग से प्रदेश के 40 प्रतिभागियों को प्राकृतिकविद (नेचुरलिस्ट) का प्रशिक्षण देकर प्रमाणित किया गया।

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए वन मंत्री सुभोध उनियाल ने कहा कि नेचुरलिस्ट का प्रशिक्षण प्रदान कर उत्तराखंड में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसे ईको टूरिज्म से जोड़ा जा सकता है। समापन सत्र को संबोधित करते हुए, कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि सरकार इस तरह कमे कार्यक्रम में हर तरह से सहयोग के लिए तैयार है। प्रशिक्षण के अंत में सभी सफल प्रतिभागियों को VISA और THSC द्वारा प्रमाणपत्र प्रदान किया गया, जो उनकी योग्यता को मान्यता देता है और उन्हें इको-टूरिज्म के क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर प्रदान करता है।

 

कार्यक्रम का उद्देश्य

प्राकृतिकविद (नेचुरलिस्ट) प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड में पर्यावरणीय पर्यटन और जिम्मेदार पर्यटन प्रथाओं को बढ़ावा देना है। यह कार्यक्रम युवाओं को पर्यटन के क्षेत्र में आवश्यक कौशल से प्रशिक्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि वे पर्यावरणीय संरक्षण के प्रति जागरूकता फैला सकें और पर्यटन गतिविधियों को कुशलतापूर्वक और जिम्मेदारी से प्रबंधित कर सकें।

 

इस कार्यक्रम के तहत प्राकृतिक आवासों में पर्यावरणीय अनुभव, भारतीय जैव विविधता का अध्ययन, जोखिम आकलन और निवारण, और स्थायी जीवन शैली को बढ़ावा देने जैसे मॉड्यूल को शामिल किया गया है। प्रत्येक मॉड्यूल प्रतिभागियों को सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक अनुभव प्रदान करता है, जिससे वे पर्यटकों को विभिन्न प्राकृतिक स्थलों पर जिम्मेदारीपूर्वक मार्गदर्शन कर सकें और सतत पर्यटन को बढ़ावा दे सकें।

 

प्रशिक्षण के लाभ

– भारत की जैव विविधता के बारे में गहन ज्ञान प्राप्त करना, जिससे वे पर्यटकों को सही जानकारी दे सकें।

– पर्यावरणीय अनुकूल गतिविधियों जैसे सफारी और नेचर ट्रेल्स का आयोजन करना, जिससे स्थानीय वन्यजीवों का संरक्षण हो सके।

– जोखिम प्रबंधन और प्राथमिक चिकित्सा में व्यावहारिक प्रशिक्षण, जो जंगल में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।

– अतिथियों से प्रभावी संवाद और नैतिक पर्यटन प्रथाओं के माध्यम से उन्हें पर्यावरण संरक्षण की ओर प्रेरित करना।

 

 

 

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