उत्तराखंड

जिज्ञासा – बद्रीनाथ के रावल कैसे चुने जाते हैं ?

उत्तराखंड सरकार के अधीन मिलता है वेतनमान

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देहरादून । श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) द्वारा बदरीनाथ धाम के नायब रावल पद सूर्यराग पी का चयन किय गया है। बीकेटीसी ने यह जानकारी सार्वजनिक की है।

बीते दिनों बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वरा प्रसाद नंबूदरी के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी, जिसके बाद तब बीकेटीसी ने नायब रावल अमरनाथ केवी नम्बूदरी को रावल पद पर प्रोन्नति दे दी थी। साथर रिक्त हो चले नायब रावल पद पर नियक्ति की प्रक्रिया शुरू की थी। अब शैक्षिक योग्यता व अन्य निर्धारित अहर्ताओं के आधार पर ही बीकेटीसी ने साक्षात्कार के बाद सूर्यराग पी० का इस पद के लिए चयन किया है। श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर एक्ट – 1939 में नायब रावल के पद पर नामांकित  करने का अधिकार टिहरी के महाराजा को दिया गया है। इस क्रम में बीकेटीसी द्वारा पूर्व की टिहरी रियासत के महाराजा मनुजयेंद्र शाह से सहमति लेकर नियुक्ति प्रक्रिया प्रारम्भ की। साक्षात्कार बोर्ड में सदस्य के रूप में राज परिवार द्वारा नामित एक प्रतिनिधि को भी शामिल किया गया था।

यह है चयन प्रक्रिया

अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि धाम में रावल नियुक्त कौन करता है? साथ ही इसके लिए क्या मानक होते हैं ? इनका मानदेय कितना होता होगा? साथ ही रावल के लिए क्या कोड ऑफ कंडक्ट यानि आचार संहिता जरूरी है?

तो सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि बद्रीनाथ – केदारनाथ धामों का प्रबंधन, उत्तराखंड सरकार के अधीन बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति यानि बीकेटीसी करती है। इसलिए रावल की नियुक्ति भी बीकेटीसी के जरिए ही होती है। लेकिन बीकेटीसी पहले नायब रावल का चयन किया जाता है, इसके बाद जब मुख्य रावल सेवानिवृत्त होते हैं या किसी कारण उनका पद खाली होता है तो नायब रावल उनकी जगह ले लेते हैं। इस बार भी यही हुआ

 

मिलता है 21700 का वेतनमान

यहां यह जानना जरूरी है कि बद्रीनाथ धाम में रावल और नायब रावल आदि गुरु शंकराचार्य की परंपरा यानि उसी परिवार से आते हैं। इस तरह यह पद केरल के नंबुदरी ब्राह्मणों के लिए सुरक्षित है। पहले नायब रावल की नियुक्ति पर गढ़वाल राजपरिवार, केरल के त्रावणकोर राजपरिवार से सहयोग लेता था, लेकिन 1939 में बीकेटीसी बनने के बाद इस काम में राज परिवार की भूमिका औपचारिक ही रह गई है। इस बार भी नए नायब रावल चयन के लिए मंदिर कमेटी ने इसी साल मई में केरल के दो प्रमुख अखबारों मलियामल मनोरमा और मातृभूमि में विज्ञापन देकर आवेदकों से 11 जुलाई तक आवेदन मांगे थे। विज्ञापन में स्पष्ट किया गया है कि नायब रावल को उत्तराखंड सरकार के अधीन 21700 से 69100 रुपए ग्रेड पे यानि लेबल पांच वाला वेतनमान मिलेगा, साथ ही धाम में रहने खाने की सुविधाएं भी मिलेंगी। इसके लिए आयु सीमा 21 से 42 साल के बीच होनी जरूरी है। आवश्यक शर्तों के अनुसार आवेदक का प्रतिष्ठित नंबूदरी ब्राह्मण परिवार से होना जरूरी है, इस पद के लिए संस्कृत भाषा के साथ ही और तंत्र पूजा और विष्णु पूजा की जानकारी होनी जरूरी है। साथ ही चयनित व्यक्ति को बेदाग चरित्र का प्रमाणपत्र भी प्रस्तुत करना होगा, आवेदक के खिलाफ किसी भी तरह का आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं होना चाहिए।

सांसारिक जीवन पर रहती है रोक

नायब रावल, रावल  के लिए पद पर रहने तक अविवाहित रहने की भी शर्त होती है। पद छोड़ने के बाद वो सांसारिक जीवन जी सकते हैं। हालांकि शैक्षिक शर्तों में कमेटी सिर्फ साक्षर होने को ही पर्याप्त मानती है, लेकिन हिंदी ओर अंग्रेजी की जानकारी वाले अभ्यर्थी को प्राथमिकता दी जाती है।

तो इसी तरह नायब रावल जब बाद में मुख्य रावल बनते हैं तो उन्हें रावल वाला वेतनमान मिलता है, लेकिन मुख्य रावल को इसके अलावा मंदिर गर्भगृह में होने वाली विशेष पूजा से भी एक निश्चित अंश में दक्षिणा दस्तूर मिलती है। रावल का सेवाकाल तय नहीं है, वो अपनी इच्छा से कभी भी पद त्याग सकते हैं, इसके बाद उन्हें जीवन निर्वाह के लिए पेंशन दिए जाने का भी प्रावधान है। लेकिन चूंकि 2005 के बाद देश में नई पेंशन स्कीम लागू है, इस कारण धाम के मुख्य पुजारी की पेंशन का मामला भी अधर में लटक कर रह गया है।

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