उत्तराखंड

दो साल में पूरी तरह ऑर्गेनिक राज्य हो जाएगा उत्तराखंडः डॉ धन सिंह रावत

रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड नेकॉफ अवार्ड्स में उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन लिमिटेड सम्मानित

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नई दिल्ली। उत्तराखंड के सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा है कि उत्तराखंड राज्य दो साल में पूरी तरह ऑर्गेनिक हो जाएगा। अभी तक राज्य के 95 में से 62 ब्लॉक ऑर्गेनिक हो चुके हैं। इनमें से 47 ब्लॉक को इसके लिए सर्टिफाई किया जा चुका है।

नई दिल्ली में रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड नेकॉफ अवार्ड्स 2024 में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल उत्तराखंड के सहकारिता और शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने अपने संबोधन में कहा कि कोऑपरेटिव के क्षेत्र में राज्य में कई पहल हुई हैं जिन्हें दूसरे राज्य अपना रहे हैं। डॉ रावत ने बताया कि उत्तराखंड में 12 लाख किसानों को बिना ब्याज के एक लाख से पांच लाख रुपये तक का कर्ज दिया गया है। लेकिन किसानों का एक भी कर्ज एनपीए नहीं बना है। राज्य में लागू अन्य पहल के बारे में उन्होंने बताया कि उत्तराखंड ने मॉडल साधन सहकारी समिति बनाई थी, अब हर राज्य में इसे लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विकास तभी होगा जब किसान आगे आएगा। एक तरफ कृषि भूमि घटती जा रही है, मिट्टी की उपजाऊ क्षमता कम हो रही है और दूसरी तरफ देश की आबादी बढ़ रही है। हमें इस बात का ध्यान रखना जरूरी है।

कॉन्क्लेव में परिचर्चा के चार सत्र आयोजित किए गए। इनके विषय थे ‘अगली पीढ़ी की कृषि के लिए, अगली पीढ़ी की सहकारी संस्था’, ‘निजी क्षेत्र- किसानों की भागीदारी’, ‘किसानों के लिए सार्वजनिक संस्थान, सहकारिता को आगे बढ़ाने के लिए उसका कॉमर्शियल बनाने की जरूरत’। सम्मेलन में उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत, पूर्व संसद KC त्यागी, इफको के मार्केटिंग डायरेक्टर योगेंद्र कुमार सहित कृषि क्षेत्र के कई विशेषज्ञ और देश भर सेवाएं किसान प्रतिनिधि शामिल हुए। रूरल वॉयस के एडिटर इन चीफ हरवीर सिंह ने पुरस्कार विजेताओं के कामों से सीख लेने पर जोर दिया

 

उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन लिमिटेड सम्मानित

आयोजन में उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन लिमिटेड को उल्लेखनीय कार्य के लिए पुरस्कृत किया गया। यह उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री आनंद शुक्ला ने ग्रहण किया। विदित है कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद रेशम विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश के कच्चा रेशम उत्पादकों को मार्केटिंग की सुविधा उपलब्ध कराना और मूल्य भुगतान करना था। इन चुनौतियों के समाधान के लिए एक शीर्ष सहकारी समिति के गठन की परिकल्पना की गई और वर्ष 2002 में उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन अस्तित्व में आया। फेडरेशन ने भारत सरकार के केंद्रीय रेशम बोर्ड और राज्य सरकार के सहयोग से दो करोड़ रुपये की धनराशि से रिवॉल्विंग फंड बनाया, जिसका मुख्य उद्देश्य रेशम कीटपालकों को जल्दी भुगतान की व्यवस्था करना था। फेडरेशन की समिति हर साल रेशम का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए अपनी सिफारिशें भी देती है। साथ ही पूरी रेशम मूल्य शृंखला पर काम करने के साथ फेडरेशन फार्म-टू-फैशन कांसेप्ट और उच्च क्वालिटी वाले रेशम धागे का उत्पादन आरंभ किया। साथ ही, एक ही जगह पर सभी पोस्ट-ककून गतिविधियां शुरू कीं। इस समय लगभग 6000 रेशम कीटपालक और 210 संबद्ध बुनकर फेडरेशन से जुड़े हैं।

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