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स्वतंत्र और निष्पक्ष रहे श्रीलंका में संसदीय चुनाव – मस्तू दास

श्रीलंका चुनाव में पर्यवेक्षक रहे उत्तराखंड के सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी मस्तू दास ने बयां किए अनुभव

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देहरादून। श्रीलंका में 14 नवंबर को संसदीय चुनाव सम्पन्न हो गए हैं, इस चुनाव के लिए उत्तराखंड के सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मस्तू दास अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर नियुक्त थे। मस्तु दास के मुताबिक श्रीलंका का चुनाव पूरी तरह शांतिपूवर्क और निष्पक्ष रहा। जटिल प्रक्रिया के बावजूद पूरे चुनाव में कहीं कोई बाधा नहीं आई।

श्रीलंका निर्वाचन आयोग ने अपने देश की संसदीय चुनावों प्रक्रिया से परिचय कराने के लिए भारत के साथ ही रूस, बांग्लादेश, मालदीप और कैम्ब्रिज के निर्वाचन आयोग को निमंत्रण भेजा गया था। इसी क्रम में भारत निर्वाचन आयोग ने मणिपुर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रदीप कुमार झा, भारत निर्वाचन आयोग के प्रमुख सचिव टीसी कॉम और उत्तराखंड के सहायक निर्वाचन अधिकारी मस्तूदास को अपने प्रतिनिधि के रूप में श्रीलंका भेजा गया था। भारतीय दल 11 से 17 नवंबर तक वहां रहा। श्रीलंका से लौटे, उत्तराखंड के सहायक मुख्य  निर्वाचन अधिकारी मस्तूदास ने बताया कि वहां के चुनाव की सबसे अच्छी बात यह थी कि वहां करीब 75 प्रतिशत मतदान और मतगणना कर्मचारी महिलाएं थी। चुनाव पूरी तरह शांतिपूर्वक ढंग से सम्पन्न हुआ। जटिल प्रक्रिया के बावजूद, कार्मिकों और राजनैतिक दलों की ओर से किसी तरह का व्यवधान पेश नहीं आया। आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतें नहीं आई।

प्रिफरेंसियल वोटिंग के आधार पर होता है चुनाव

मस्तू दास के अनुसार, श्रीलंका में चुनाव वरीयता (प्रिफरेंसियल) प्रणाली के अनुसार होता है। इसके तहत किसी भी मतदाता को पहले पार्टी या स्वतंत्र उम्मीदवारों के समूहों को चुनना होता है, फिर वो उस पार्टी या निर्दलीय समूह में किन्हीं तीन प्रत्याशियों को वरीयता के अनुसार मत देता है। पूरी पक्रिया बैलेट पेपर पर सम्पन्न होती है, चूंकि वहां 92 प्रतिशत साक्षरता दर है, इसलिए लोगों को पेन के अनुसार वरीयता प्रदान करने में भी कोई दिक्कत नहीं होती है। श्रीलंका में कुल 225 में से 196 सीटों पर प्रत्यक्ष मतदान होता है। इस बार के संसदीय चुनावों में वहां कुल 17 करोड़ 14 लाख मतदाता पंजीकृत थे।

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