उत्तराखंड

चलता फिरता कृषि विश्वविद्यालय हैं निर्मल सिंह तोमर

विकासनगर के धर्मावाला गांव में डेढ़ हैक्टयर जमीन में चलाते हैं निर्मल नर्सरी

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देहरादून। देहरादून जिले में विकासनगर के पास धर्मावाला गांव निवासी प्रगतिशील किसान निर्मल सिंह तोमर, अपने आप में चलते फिरते कृषि विश्वविद्यालय सरीखे हैं। खुद महज मैट्रिक तक पढ़े लिखे निर्मल सिंह ने विभिन्न शोध संस्थानों के दौरे से अर्जित अपने व्यावहारिक ज्ञान से खेती बागवानी में नई इबारत लिखी है, निर्मल सिंह पास अब उत्तराखण्ड ही नहीं दूसरे प्रदेशों के किसानों को भी खेती और बागवानी के गुर सिखने के लिए आ रहे हैं।

बीते दो दशक के दौरान बागवानी में किए गए नवीन प्रयोगों के चलते निर्मल सिंह तोमर अपने करीब एक हैक्टेयर के बाग में एक साथ ठंडी और गरम जलवायु के पौधे सफलतापूर्वक उगा रहे हैं। इस तरह उनके बाग सेब, बादाम, अखरोट, पुलम के साथ ही आम, लीची, संतरा, अमरूद, केले के पेड़ों से लहलहा रहे हैँ।

निर्मल सिंह बताते हैं कि उनके बाग में 176 प्रजाति के आम पैदा होते हैं, निर्मल ग्राफ्टिंग तकनीक के जरिए पुराने पेड़ों को नया बनाने में महारथ हासिल कर चुके हैं। वह आए दिन विभिन्न प्रदेशों में जाते रहते हैं और वहां के किसानों से वहां के फसलों की जानकारी इकट्ठा करके उसे अपने बाग में नवीन प्रयोग के रूप में अपनाते हैं

उन्हें अब तक उत्तराखंड सरकार के साथ ही केंद्र और अन्य प्रदेशों की सरकारों की ओर से भी सम्मानित किया जा चुका है। निर्मल सिंह बताते हैं कि उन्होंने इसके लिए विभिन्न शोध संस्थानों का दौरा तो किया ही, सरकार की विभिन्न योजनाएं भी इसमें मददगार साबित हुईं।

वर्तमान में वे 50 लोगों को रोजगार प्रदान करते हुए, प्रदेश के युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर रहे हैं। निर्मल सिंह कहते हैं कि सरकार उद्यानपतियों के लिए कई लाभकारी योजनाएं चला रही है, किसानों को इसका लाभ उठाना चाहिए। निर्मल उत्तराखंड के साथ ही यूपी और दिल्ली में भी अपना एग्रीकल्चर फार्म चलाते हैं।

 

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