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डॉन को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर अल्मोड़ा जेल ने दी सफाई

अल्मोड़ा जेल में बंद डॉन पीपी को दीक्षा दिए जाने का मामला

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देहरादून।  अल्मोड़ा जेल में बंद डॉन प्रकाश पांडे उर्फ को जूना अखाड़ा का महामंडलेश्वर या मठाधीश बनाए जाने खबरों पर जूना अखाड़ा के साथ ही अल्मोड़ा जेल प्रशासन ने इंकार किया है।

जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि ने इस बात से इन्कार किया कि पीपी को अखाड़े का महामंडलेश्वर या मठाधीश बनाया गया है। इधर, अल्मोड़ा जिला जेल के अधीक्षक जयंत पांगती ने बताया कि गत पांच सितंबर को दोपहर बाद दो बजे कुछ लोग बंदी प्रकाश पाण्डे उर्फ पीपी से मुलाकात करने आये थे। इन तीनों की जेल नियमों के मुताबिक पीपी से मुलाकात हुई थी। मुलाकात के दौरान कोई अनुष्ठान आदि नहीं किया गया। पांगती ने बताया कि इसी सम्बन्ध में इससे पहले चार सितंबर को हल्द्वानी निवासी नितिन जोशी ने जेल प्रशासन को पत्र लिखकर दसनाम जूना अखाड़ा में बंदी प्रकाश पाण्डे उर्फ पीपी को प्रवेश कराने के लिए एक आंशिक अनुष्ठान कराने की अनुमति मांगी गई थी, जिसके जवाब में उन्हें तब ही लिखित में इस तरह के किसी भी अनुष्ठान की इजाजत देने से इंकार कर दिया गया था। इस तरह जेल परिसर में ऐसे आयोजन का सवाल ही पैदा नहीं होता है।

इधर, जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि ने मामले में जांच बैठा दी है। उन्होंने इस बात से इन्कार किया कि पीपी को अखाड़े का महामंडलेश्वर या मठाधीश बनाया गया है। हालांकि, साथ में यह भी जोड़ा कि, हर किसी को जीवन में स्वेच्छा से सनातन की शरण में आने का अधिकार है, इसलिए सनातन की शरण में आए माफिया पीपी को अकेला छोड़ उससे किनारा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि अखाड़ा पीपी की धार्मिक यात्रा में सहयोग करेगा। बाकी उसके अपराधिक कृत्यों पर कानून अपना काम करेगा।

बीते दिनों की थी चर्चा

गौर करने की बात है कि पांच सितंबर को कुछ संतों ने अल्मोड़ा में पत्रकार वार्ता कर यह दावा किया था कि उन्होंने पीपी को जेल में ही दीक्षा दी है। उन्होंने यह भी बताया था कि पीपी को अंसेश्वर मठ, मुनस्यारी माता का मठ, गंगोलीहाट में लमकेश्वर, यमुनोत्री में भैरव और भद्रकाली मंदिर का उत्तराधिकारी यानी मठाधीश बनाया गया है।

 

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